MNC की नौकरी छोड़ इसे बनाया कमाई का जरिया, अब हो रही है लाखों की कमाई
लोग अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर खुद के दम पर कुछ अलग करते हैं और उसमे सफल भी होते हैं. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रठौरा गांव के रहने वाले गौतम चौधरी की कहानी कुछ ऐसी ही है.
मछली पालन और मोती की खेती से बढ़ी कमाई. (Image- Reuters)
मछली पालन और मोती की खेती से बढ़ी कमाई. (Image- Reuters)
Business Idea: पढ़ाई पूरी करने के बाद युवा नौकरी पाने के लिए खूब मेहनत करते हैं और कोई भी सरकारी नौकरी करने को तैयार रहते हैं. लेकिन आजकल आपको कई ऐसी खबरें पढ़ने या सुनने को मिलते हैं कि लोग अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर खुद के दम पर कुछ अलग करते हैं और उसमे सफल भी होते हैं. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रठौरा गांव के रहने वाले गौतम चौधरी की कहानी कुछ ऐसी ही है. इस शख्स ने MNC की नौकरी छोड़ मछली पालन (Fish Farming) का बिजनेस शुरू किया है और आज वो अच्छी कमाई कर रहे हैं.
ऐसे हुई सफर की शुरुआत
गौतम मछली पालन के क्षेत्र में आने से पहले वह एक एमएनसी में एक प्राइवेट कर्मचारी थे. उन्होंने अपने जिले में मछली की खपत की बढ़ती मांग को देखा और मछली पालन में अपने करियर के बारे में सोचना शुरू किया. उनके पास जमीन और मीठे पानी का संसाधन था, इसलिए उन्होंने एक हेक्टेयर में 15000 अर्निंग्स का स्टॉक करके मछली पालन (Fish Culture) की शुरुआत की.
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2 लाख रुपये का कमाया नेट प्रॉफिट
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उन्होंने मछलियों को सप्लीमेंट्री फार्म-मेड फीड खिलाया और 5000 किलो मछली का उत्पादन किया. उन्होंने फार्म गेट पर ₹100 प्रति किग्रा के हिसाब से मछली बेची और ₹5 लाख का टर्नओवर और 2 लाख रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया. अगले साल उन्होंने ₹3.8 लाख का नेट प्रॉफिट लाभ कमाया, जो उन्हें पहली फसल से लगभग दोगुना था.
हालांकि, उन्हें बढ़ते खेत के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ा, लेकिन फिर उन्हें ICAR-CIFA के बारे में पता चला और उन्होंने 2020 में पर्ल कल्चर (Pearl Culture) ट्रेनिंग में भाग लिया. ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने अपने क्षेत्र दौरे के तहत एनएफडीबी-एनएफएफबीबी का दौरा किया.
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खुद से लगाए 9 लाख रुपये
उन्नत किस्म के बारे में जानने के बाद उन्होंने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान नीली क्रांति (Blue Revolution) के तहत इंडियन मेजर कार्प्स की आनुवंशिक रूप से उन्नत किस्मों के ग्रो-आउट और बीज पालन के लिए आवेदन किया और एक हेक्टेयर क्षेत्र में एक ग्रो आउट और 0.25 हेक्टेयर क्षेत्र में चार नर्सरी तालाब बनाए. कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट ₹15 लाख थी जिसमें ₹6 लाख की वित्तीय सहायता प्रथम वर्ष के इनपुट के रूप में थी और 9 लाख रुपए खुद से निवेश किए.
फिर, उन्होंने अपने खेत को एनएफडीबी-एनएफएफबीबी के साथ एक नेटवर्क बीज उत्पादक के रूप में रजिस्टर्ड किया, जिसने उनकी खेती के तरीकों को बदल दिया और बीज बेचने और पहले की तुलना में बिना कोई बीमारी 30% अधिक मुनाफा कमाने का मौका दिया.
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मोती की शुरू की खेती
उन्हें मेरठ मंडल में उन्नत किस्म के उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रगतिशील किसान के रूप में सम्मानित किया गया. उन्होंने अपनी जानकारी को बढ़ाने के लिए आरएएस, बायोफ्लॉक और पर्ल कल्चर में ट्रेनिंग ली है और डिजाइनर मोतियों की खेती शुरू की है. साथ ही, वह अन्य किसानों को कंसल्टेंसी सर्विस और गाइडेंस दे रहे हैं. उनकी योजना भारत सरकार की मदद से युवा पीढ़ी को प्रशिक्षण देकर अधिक रोजगार पैदा करने की है.
सालाना 24 लाख रुपये का बिजनेस
नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के मुताबिक, गौतम मछली पालन और मोती की खेती से सालाना 24 लाख रुपये का बिजनेस कर रहे हैं. उन्होंने 12 लोगों को रोजगार भी दिया है.
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